5 Simple Techniques For baglamukhi sadhna



५.ॐ ह्लीं श्रीं उं श्रीवश्यायै नमः -दक्ष-कर्णे (दाएँ कान में) ।

४९. ॐ ह्लीं श्रीं हं श्रीभव्यायै नमः-हृदयादि वाम-पादान्तम् (हृदय से बॉएँ पैर के अन्त तक ।

बिम्बोष्ठीं कम्बु-कण्ठीं च, सम-पीन-पयोधराम् । पीताम्बरां मदाघूर्णां, ध्याये ब्रह्मास्त्र – देेेवताम् ।।

२१. श्रीजृम्भिण्यै नमः सर्व-प्रकार से विकसित होनेवाली/प्रसारित होनेवाली शक्ति को नमस्कार

In each individual person, the exact same self-electricity exists as that electric power, which happens to be present in your body in a very dormant condition resulting from getting surrounded by worldly attachments, misdeeds and five restrictors.

मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। माहात्म्य- सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप website के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।

अत: श्रीबगला माता को तामस मानना ठीक नहीं है। आभिचारिक कृत्यों में रक्षा की ही प्रधानता होती है। यह कार्य इसी शक्ति द्वारा निष्पन्न होता है। इसीलिए इसके बीज की एक संज्ञा ‘रक्षा-बीज’ भी है (देखिए, मन्त्र-योग-संहिता)-

“स्वतन्त्र तन्त्र’ में भगवान् शङ्कर, पार्वती जी से कहते हैं कि ‘हे देवि! श्रीबगला विद्या के आविर्भाव को कहता हूँ। पहले कृत-युग में सारे जगत् का नाश करनेवाला वात-क्षोभ (तूफान) उपस्थित हुआ। उसे देखकर जगत् की रक्षा में नियुक्त भगवान् विष्णु चिन्ता-परायण हुए। उन्होंने सौराष्ट्र देश में ‘हरिद्रा सरोवर’ के समीप तपस्या कर श्रीमहा-त्रिपुर-सुन्दरी भगवती को प्रसन्न किया। श्री श्रीविद्या ने ही बगला-रूप से प्रकट होकर समस्त तूफान को निवृत्त किया। त्रैलोक्य-स्तम्भिनी ब्रह्मास्त्र बगला महा-विद्या श्री श्रीविद्या एवं वैष्णव-तेज से युक्त हुई।

३. श्रीजम्भिन्यै नमः दुष्टों या दुवृत्तियों को कुतर-कुतर कर टुकड़े करनेवाली को नमस्कार

२९. ॐ ह्लीं श्रीं डं श्रीजयायै नमः–दक्ष-गुल्फे (दाँएँ टखने में) ।

अत्र कश्चित् द्विषन् भ्रातृव्यः कृत्यां वलगान् निखनति तानेवैतदुत्किरति ।

के फल-स्वरूप स्वयं उन्हें सिद्धि प्राप्त हुई थी।

१०. श्रीभगाम्बायै नमः ऐश्वर्य-दात्री-शक्ति को नमस्कार।

२१. ॐ ह्लीं श्रीं ङं श्रीभगिन्यै नमः -दक्ष-करांगुल्यग्रे (दाएँ हाथ की अँगुलियों के अग्र भाग में)।

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